Saturday, August 29, 2015

गीत गागर में नचिकेता का लेख

गीत गागर में नचिकेता का लेख

== हर कविता की इच्छा अन्ततः गीत बन जाना है ==
"गीत गागर" पत्रिका [सम्पादक दिनेश प्रभात] के अप्रैल-जून २०१५ अंक में नचिकेता द्वारा लिखे गए "केदारनाथ अग्रवाल के गीतों की बनावट और बुनावट" शीर्षक लम्बे लेख की दूसरी कड़ी प्रकाशित की गई है.... नचिकेता जी ने केदारनाथ अग्रवाल के गीतों के बहाने गीत पर महत्त्वपूर्ण बातें कही हैं.. 
अरुन कमल के कविता विषयक विचार इस लेख में देखें--
" हर कविता की इच्छा अन्ततः गीत बन जाना है। क्योंकि संगीत के सबसे पास का बिन्दु है, दो देहों के बीच बस एक स्पंदित भित्ति तक पहुँचना ही कविता का ध्येय है और श्रेय भी। जहाँ पहुँच कर भाषा बहुत हल्की भारहीन हो जाती है, शब्द अपनी पीठ से सारे माल असबाब, सारे स्थूल अर्थ को छोड़ते हुए, केवल छायाओं-प्रच्छायाओं को, आभासों को वरण करते हुए उस भाव दशा को व्यक्त करते हैं जिसमें पूरी जीवन-स्थिति अन्ततः तिरोहित या स्त्रवित होती है"

-डा० जगदीश व्योम
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टिप्पणियाँ-

जिसमें पूरी जीवन स्थिति अन्तत:तिरोहित यास्त्रवित होती है। कृपया स्पष्ट करें।

रमाकान्त यादव
June 17 at 3:42p
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अब जब तक नचिकेता जी के उद्धरणो की पडताल न कर ली जाए कुछ कहना कठिन है।अरुन कमल जी अच्छे कवि है किंतु वे गीत /नवगीत के विचारक भी हैं यह मेरे लिए नई जानकारी है।

भारतेन्दु मिश्र
June 17 at 8:03pm 
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मैने केदार बाबू के गीतो पर केन्द्रित जो लेख उनकी जंन्मशती के अवसर पर लिखा था (छन्दप्रसंग ब्लाग पर और प्रवक्ता डाट काम पर उपलब्ध है, उससे नचिकेता जी का आलेख कितना भिन्न है गीतगागर को पढे बिना नही कह सकता।जिज्ञासु चाहें तो लिंक देख कर अंतर समझ सकते हैं।
http://2.bp.blogspot.com/.../s1600/Kedarnath_Agarwal.jpg

भारतेन्दु मिश्र
June 18 at 9:15am 

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